शुभ रात्रि दादू
दादू ने एक खुशहाल ज़िन्दगी बिताई थी,
एक प्यार करने वाली पत्नी , बच्चों
और नाती पोतों के संग |
उम्र और ढ़लने पर दादू को
सबसे छोटी पोती बुलबुल ही सबसे ज्यादा भाई थी |
हर रात , दादू बुलबुल को कहानियां
पढ़कर सुनाते थे |
कहानी सुनते सुनते बुलबुल
उनकी ही गोद में सो जाया करती थी |
एक रात , दादू को कुछ थकान सी लग रही थी |
उन्होंने बुलबुल से कहा ,
“ आज कुछ नया करते है
क्यों न तुम मुझे एक कहानी पढ़कर सुनाओ “
बुलबुल को यह विचार बहुत पसंद आया
और उसने अपनी प्रिय पुस्तक उठा ली |
दादू के बगल में बैठकर बुलबुल
कहानी पढने लगी |
दादू आराम से बिस्तर पर लेट गए
जल्दी ही उन्होंने आंखें बंद कर लीं |
धीरे – धीरे दादू गहरी नींद में सो गए |
बुलबुल ने आहिस्ते से बत्ती बुझा दी,
फिर झुककर उसने दादू के गाल को चूम लिया
धीमी आवाज़ में बुलबुल ने कहा
“ शुभ रात्रि , मेरे प्यारे दादू , आराम से सोना”
उस रात दादू बड़े ही आराम से सोये
और अब वे हैं फरिश्तों के बीच खोये |